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आखिरकार कब सुलझेगी ये कोरोना की गुत्थी , आखिर कोन बना दुनिया भर में करोड़ों लोगो की जान लेने वाले हत्यारे की कहानी

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 अमेरिका ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दी जा रही प्रयोगशाला (लैब) से लीक होने की थ्योरी की जांच नए सिरे से शुरू कर दी है। वह यह आंकने का प्रयास कर रहा है कि क्या कोरोना वायरस चीन की वुहान वायरस लैब से निकला ? कोरोना वायरस कहां से निकला, इस पर बहस जनवरी 2020 में ही छिड़ गई थी, जब चीन ने पहले इन्कार किया और फिर कुंबूल किया कि यह एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकता है। हालांकि चीन सरकार इस पर अड़ी है कि कोरोना वायरस जंगल से निकला है, लेकिन कई जानवरों पर संदेह जताने के बाद भी न तो चीन और न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) यह बता सका है कि यह वायरस आखिर किस प्रजाति से होता हुआ इंसानों तक पहुंचा ? पहले कहा गया कि यह पैंगोलिन से निकला, फिर चमगादड़ और कई दूसरे जानवरों के नाम लिए गए। सच तो यह है कि महामारी के 16-17 महीने बाद भी हम दावे से नहीं कह सकते कि किन प्रजातियों के माध्यम से यह वायरस इंसानों तक फैला? इससे पहले हमने इंसानों को बीमार करने वाले दो अन्य कोरोना वायरस देखे। सार्स-1 (2002) और मर्स (2012), जिनकी प्रजातियों का पता वैज्ञानिकों ने चार और नौ महीने में लगा लिया था।

स्पुतनिक V का 30 लाख डोज इंडिया पहुंचा : जल्द मिलेगा सभी को स्पुतनिक V का टीका

नई दिल्ली ं कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के लिए सरकार हर स्रोत से वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की कोशिशों में जुटी है। स्वस से कोरीना वैक्सीन स्पुतनिक वी की 30 लाख डोज और हैदराबाद पहुंच गई है। जुलाई के आखिर या अगस्त से रोजाना एक करोड़ टीके लगाने की तैयारी है। सरकार का कहना है कि तब तक पर्याप्त मात्रा में कोरोना वैक्सीन की डोज उपलब्ध हो जाएंगी। जीएमआर हैदराबाद एयर कार्गो (जीएचएसी) की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि रूस से स्पुतनिक-बी वैक्सीन की खेप लेकर विशेष विमान हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल' एयरपोर्ट पर मंगलवार तड़के 3.43 बजे उतरा। बयान में कहा गया है कि जरूरी कार्यवाहियों को पूरा करते हुए, वैक्सीन को एयरपोर्ट से डेढ़ घंटे के भीतर बाहर भेज दिया गया, क्योंकि इसे माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखना पड़ता है। हैदराबाद स्थित डा. रेड्डीज लैबोरेटरीज स्पुतनिक-वी वैक्सीन का वितरण और उत्पादन कर रही है। शुरू में 25 करोड़ डोज रूस से आनी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि अगस्त तक वैक्सीन की कमी दूर हो जाएगी और उसके बाद रोजाना एक करोड़ डोज लगाई जाएंगी। अभी दो वैक्सीन की डोज को मि

आखिर कहा से आया ये वायरस और इसका नाम कैसे पड़ा कोरोना जाने पूरी क्या है कहानी : वुहान लैंब में बना था वायरस या नहीं

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वाशिंगटन, एजेंसियां विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) इस बात का फिर से अध्ययन कर सकता है कि कोरोना (सार्स-सीओवी-2) वायरस की उत्पत्ति और दुनियाभर में उसका प्रसार संभवतः चीन की वुहान स्थित लैब से हुआ है। संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने भी आगे के अध्ययन की जरूरत पर सहमति व्यक्त की है। अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री जेवियर बेसेरा ने डब्लूएचओ से अनुरोध किया कि वह सुनिश्चित करे कि कोरोना वायरस उत्पत्ति की अगले चरण की जांच ज्यादा पारदर्शी और और वैज्ञानिक आधार वाली हो। सीएनएन के मुताबिक, वायरस की उत्पत्ति की जांच कर रहे डब्लूएचओ विज्ञानियों की आगे की जांच के लिए जिन क्षेत्रों की पहचान की गई है उनमें महामारी की शुरुआत के समय जानवरों में कोरोना वायरस की विस्तृत जांच के चीन के आंकड़े शामिल हैं जिनकी पहले अनदेखी की गई। इस बात के रिकार्ड डब्लूएचओ पैनल की मार्च की रिपोर्ट के 200 पेज के संलग्न दस्तावेज (एनेक्स) में शामिल हैं। उस समय वैश्विक विशषज्ञों का इस पर बहुत कम ध्यान गया था। लेकिन ये आंकड़े चीन के आलोचकों की ज्यादा पारदर्शिता की मांग और आगे की जांच के लिए चीन लौटने की डब्लूएचओ टीम की

ऐसे लोग जिन्हें पहले से कोई बीमारी है उनके लिए कोरोना से ज्यादा खतरा हो सकता है : डेंगू का सामना करनेवालों में कोरोना का खतरा ज्यादा

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 यह जाहिर हो चुका है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) उन लोगों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रहा है, जो पहले से ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि पूर्व में डेंगू का सामना करने वाले लोगों में इस खतरनाक वायरस का खतरा ज्यादा हो सकता है। ऐसे लोगों में कोरोना संक्रमण का जोखिम दोगुना ज्यादा पाया गया है। ब्राजील की साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, 1,285 लोगों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। इन लोगों के रक्त के नमूनों में डेंगू वायरस और कोरोना का कारण बनने वाले सार्स-कोव-2 के खिलाफ एंटीबॉडी की मौजूदगी पाई गई है। ये नमूने नवंबर, 2019 से नवंबर, 2020 के दौरान एकत्र किए गए थे। नतीजों से पता चला कि 37 फीसद लोग नवंबर, 2019 से पहले डेंगू की चपेट में आए थे और 35 फीसद नवंबर, 2020 से पहले कोरोना संक्रमित हो गए थे। अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर मार्सेलो उरबानो फरेरा ने कहा, 'डेंगू से पीड़ित हो चुके लोग अगर कोरोना की चपेट में आते हैं तो वे गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं। अतीत में डेंगू का सामना करने वालों में कोरोना संक्रमण का ज्याद

भारत कोरोना की दूसरी लहर से चौंक गया; उसने अमेरिका से सीख नहीं ली और तैयारी भी नहीं कर पाया. इसका खामियाजा अब जनता भुगत रही है: क्या सच में कोरोना के तीसरे लहर में भारत नंबर 1 पर आ जायेगा

'धीमी वैक्सीनेशन दर के कारण भारत कोरोना वायरस को म्यूटेट होने का पूरा अवसर दे रहा है, जो दुनिया के लिए खतरा बन सकता है। दुखद है कि भारत से जिस तैयारी की उम्मीद थी, वह नाकाफी रही है।' ये कहना है डॉ. सायरा मडाड का, जो अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी हेल्थ हॉस्पीटल चेन की सीनियर डायरेक्टर हैं। यह अमेरिका की सबसे बड़ी नगरीय स्वास्थ्य संस्था है। इसके अलावा डॉ. मडाड अमेरिका के कोविड रिस्पॉन्स टास्क फोर्स की सदस्य और न्यूयॉर्क में 'कोविड टेस्ट, ट्रेस और टेक केयर प्रोग्राम के साथ कोविड वैक्सीन कम्युनिकेशन वर्कग्रुप की प्रमुख भी हैं। पढ़िए भास्कर के रितेश शुक्ल से हुई उनकी बातचीत के प्रमुख अंश... • महामारी की मौजूदा परिस्थिति को कैसे देखना चाहिए? इससे कब तक छुटकारा मिल सकता है? हम अभी वैश्विक कोविड महामारी के इमरजेंसी फेज में हैं और इस स्थिति से बाहर आने में 2 साल तक लग सकते हैं। महामारियां एकदम से कभी खत्म नहीं होतीं। वैश्विक महामारी घटने के बाद भी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में समस्या बनी रह सकती है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि 1917-18 में आया स्पैनिश फ्लू अभी भी संक्रमित करता है और इससे बच

तीसरी लहर से बच्चो को ज्यादा है खतरा : समय रहते ही तयारी शुरू कर तीसरी लहर से अपने बच्चो को ऐसे रखे ।

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• थर्ड वेब रोकने के लिए बच्चों वाले घर में युवा . से लेकर बुजुर्गों तक को वैक्सीनेशन जरूरी  •  बाजार में सोशल दूरी व मास्क जरूरी, ताकि न आए घर में संक्रमण, बरतें सावधानी समय से पहले जिले में थर्ड वेब की तैयारी शुरू कर दी गई है, लेकिन अगर आप सतर्क रहे तो इसकी नौबत नहीं आएगी। हालांकि तैयारी करना बेहद जरूरी है। क्योंकि थर्ड वेब में बुजुर्ग और युवा के साथ कोरोना बच्चों को भी चपेट में ले सकता है। इसलिए डीएम सौरभ जोरवाल के निर्देश पर प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने सदर अस्पताल के शिशु वार्ड में मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है। रविवार को शिशु वार्ड का निरीक्षण किया गया। जिसमें डॉक्टर रूम, सिस्टर रूम, रिसेप्शन एरिया, ट्राएज रूम, एचडीयू व जनरल वार्ड का निरीक्षण किया गया। ट्राएंज रूम में बच्चों की स्थिति का मूल्यांकन कर बेड पर शिफ्ट किया जाता है। ट्राएज रूम में फिलहाल दो बेड हैं। वहीं एचडीयू वार्ड में दो बेड और जनरल वार्ड में छह बेड लगे हैं। शिशु वार्ड में फिलहाल रोस्टर ड्यूटी के अनुसार छह नर्स काम कर रही हैं। वहीं हर शिफ्ट में एक डॉक्टर लगाए गए हैं। यह सुविधा काफी है, लेकिन हालात बिगड़न

ब्लैक फंगस के इन लक्षणों को पहचाने, आसान होगा बचना और साथ ही साथ ये भी जाने को इसका इलाज संभव है या नहीं ?

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कोविड-19 को मात देने के बाद लोग कवक (फंगल संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। इस संक्रमण को आमतौर पर ब्लैक फंगस नाम से पहचाना जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम 'म्यूकोरमाइकोसिस' है। आइए जानते हैं कि आप अपने मरीज को इस जानलेवा कवक संक्रमण से किस तरह बचा सकते हैं। म्यूकोरमाइकोसिस एक तरह का दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में तेजी से फैलता है। यह मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर करता है। इससे आंखों की रोशनी चली जाती है, वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इलाज न मिले तो मरीज की मौत हो सकती है।  लक्षण दिखने पर ये करें फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय रहते इलाज हो तो एंटीफंगल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों में यह स्थिति गंभीर हो जाती है, उनमें प्रभावित मृत टिशू को हटाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। ध्यान रहे कि ऐसी समस्या आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं। हाक आप अपण पहले से बीमार लोगों को खतरा ये उन लोगों पर असर कर रहा है जो कोरोना संक्रमित होने से पहले ही दूसरी बीमारी से ग्रस्त थे और उनका इलाज चल रहा था। इस कारण उनके शरी

हमारे प्रशासन को आपदा से लड़ने योग्य बनाने की जरूरत ।

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ब्रिटिश मीडिया में आए अदार पूनावाला के बवा बाद, 3 मई को भारत सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि उसने कोविशिल्ड की 11 करोड़ खुराक के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को और कोवाक्सिन की पांच करोड़ खुराक के लिए भारत बायोटेक को आदेश दिए थे। यह आपूर्ति तीन महीनों में करनी थी और इसके लिए भुगतान भी अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कर दिया गया था। अपनी विज्ञप्ति में सरकारने संबंधित टीकों की 10 करोड़ और दो करोड़ खुराक के पिछले आदेश का भी जिक्र किया था, जिनमें से क्रमशः 87 प्रतिशत और 44 प्रतिशत की आपूर्ति हो चुकी थी। टीकों को मंजूरी मिलने के बाद और उस महीने के मध्य में भारत में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने से पहले, संभवतः सबसे पहला ऑर्डर या आदेश जनवरी में दिया गया था। इसके विपरीत, ब्रिटिश सरकार ने मई 2020 की शुरुआत में ही एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की नौ करोड़ खुराक का ऑर्डर दिया था, इतनी खुराक ब्रिटेन की 67 प्रतिशत आबादी को टीका देने के लिए पर्याप्त है। उसी महीने, अमेरिकी सरकार ने 30 करोड़ खुराक का ऑर्डर दिया था, जो उसकी 46 प्रतिशत आबादी के लिए पर्याप्त था। सितंबर 2020 तक, जापान, यूरोपीय