यास तूफान ने मचाया कोहराम लाखों लोगो का उजड़ गया घर : कुदरत का कहर
नई दिल्ली: ओडिशा और बंगाल के तटीय इलाकों में कहर बरपाने के बाद चक्रवात यास कमजोर पड़ने लगा है। अति गंभीर श्रेणी से गंभीर श्रेणी के चक्रवात में परिवर्तित होकर यास झारखंड की तरफ बढ़ गया। बुधवार सुबह करीब सवा नौ बजे ओडिशा के भद्रक जिले के धामरा में चक्रवात यास तट से टकराया। लँडफॉल (तट से टकराना) करीब साढ़े चार घंटे तक चला और इस दौरान हवा की गति 130-145 किलोमीटर प्रतिघंटा रही। बालासोर और भद्रक जिले के कई गांवों में समुद्र का पानी भर गया। यही स्थिति बंगाल के तटीय इलाकों की रही जहां पर्यटन स्थल दीघा में समुद्र का पानी घुस गया। गंगासागर का विख्यात कपिल मुनि मंदिर परिसर भी जलमग्न हो गया। पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना जिलों के कई गांवों में पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। सबसे ज्यादा नुकसान कृषि को पहुंचा। खेतों में समुद्र का लवण युक्त पानी घुसने से तैयार फसलें नष्ट हो गई हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अनुसार, बंगाल में चक्रवात से एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं जबकि तीन लाख घरों को नुकसान पहुंचा है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) व राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के साथ अन्य एजेंसियां बचाव कार्य में जुटी हैं। सेना, नौसेना व वायुसेना भी चक्रवात से इस जंग में सहयोग कर रही हैं। मुंबई एयरपोर्ट ने बुधवार को कोलकाता व भुवनेश्वर छह फ्लाइट रद कर दीं।
ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त पीके जेना ने बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से अब प्रशासन गांवों से समुद्र का गंदा पानी निकालने के काम में जुटा है। लैंडफॉल के बाद यास मयूरभंज जिले के रास्ते आगे बढ़ रहा है। भारी बारिश से सिमलीपाल राष्ट्रीय पार्क में बुधबलांग नदी में फ्लैश फ्लड की आशंका पैदा हो गई।
कुदरत का कहर
बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर और दक्षिण 24 परगना जिलों में सबसे ज्यादा नुकसान • दीघा में घुसा पानी, गंगासागर कां विख्यात कपिल मुनि मंदिर जलमग्न
यह होता है चक्रवात का लैंडफॉल
नई दिल्ली: समुद्र में उत्पन्न चक्रवात जब तटीय हिस्से में पहुंचता है तो उसे लैंडफॉल कहा जाता है। चक्रवात एंटी क्लॉक डायरेक्शन ( घड़ी के विपरीत) में घूमता है। तट को छूने के समय प्रचंड गति से हवा चलती है। लैंडफॉल के बाद धीरे-धीरे इसकी तीव्रता कम होने लगती है और यह वापस डिप्रेशन में बदलकर खत्म हो जाता है।
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