GST ने उलझा दिए दर्द के रिश्तों को : लॉकडॉन ने सिखाया बहुत कुछ
दर्द का रिश्ता कुछ इस तरह होता है कि आप पास रहें या सात समंदर पार, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कोरोना की दूसरी लहर में एक वाकया इस तरह का सामने आया है कि कर (टैक्स) ने दर्द के रिश्ते को उलझा कर रख दिया है। मामला मात्र सादे चार लाख की जीएसटी से जुड़ा है। बिहार सरकार ने इसे जीएसटी काउंसिल में भी रखा, लेकिन समाधान नहीं निकला।
क्या है मामला उत्तरी अमेरिका में रह रहे बिहार और झारखंड के प्रोफेशनल्स व उद्यमियों का एक संगठन है बजाना। कुछ माह पहले इस
संगठन के लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात भी की थी। कोरोना की दूसरी लहर में जब शवदाह के लिए
श्मशान घाट पर लाइन लगने लगी तो बजाना ने अमेरिका में चंदा कर बिहार के लिए एलपीजी संचालित शवदाह फर्नेस भेजना तय किया। अमेरिका से इसे भेजने में किस्म-किस्म की ड्यूटी आड़े आ रही थी। इसलिए बजाना ने फरीदाबाद की एक कंपनी के साथ इसके लिए करार किया। कंपनी फर्जी तो नहीं, इस बारे में बिहार के मंत्री संजय झा से पता लगाने का अनुरोध किया। कंपनी सही थी। उसके बाद बजाना ने 22 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। अब जब शवदाह फर्नेस की डिलीवरी का मामला आया तो कंपनी ने कह दिया कि 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना होगा, जबकि खरीदारी कोरोना काल में हुई थी। एलपीजी फर्नेस में दो घंटे के भीतर शवदाह की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। यह बहुत खर्चीला भी नहीं है और पर्यावरण के लिए हानिकारक भी नहीं।
जीएसटी काउंसिल में भी विहार रख चुका है पक्ष, अब मंत्री समूह के स्तर पर तय होगा मामला, साढ़े चार लाख की जीएसटी से अटका है फर्नेस
राज्य ने उठाया मामला
पिछले दिनों जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्य सरकार की ओर से इस मामले को उठाया गया था। वाणिज्य कर विभाग ने प्रस्ताव भी दिया था। नगर विकास एवं आवास विभाग भी सहमत है, लेकिन यह सहमति नहीं बन सकी कि इसे जीएसटी मुक्त कर दिया जाए। तय हुआ कि अब जीएसटी पर बना मंत्री समूह इस मसले पर निर्णय लेगा।
Image Source India News
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