क्या नये नोट छापने से देश कि आर्थिक स्थिति में होगी सुधार : आखिर नई नोट से क्या होगा बदलाव ?

नई दिल्ली: कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक विकास दर में माइनस 7.3 फीसद की नकारात्मक वृद्धि को बीते चार दशक का सबसे काला वर्ष बताते हुए एनडीए सरकार की आर्थिक नीतियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि जीडीपी और अर्थव्यवस्था में हुई गिरावट के कारण न केवल देश की प्रति व्यक्ति आय घटी है, बल्कि बीते दो साल में अधिकांश भारतीय पहले की तुलना में गरीब हुए हैं। अर्थव्यवस्था को मौजूदा मुश्किल दौर से उबारने के लिए चिदंबरम ने सरकार को नए नोट छापने के विकल्प पर भी गौर करने की सलाह दी।

जीडीपी के माइनस 7.3 फीसद के नकारात्मक स्तर पर पहुंचने के सरकारी आंकड़े सामने आने के बाद कांग्रेस की ओर से प्रेस कांफ्रेंस करते हुए चिदंबरम ने कहा कि 1979-80 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब भारत ने नकारात्मक वार्षिक वृद्धि दर्ज की है और 2020-21 ने चार दशकों में अर्थव्यवस्था का सबसे निराशाजनक समय देखा। उन्होंने कहा कहा कि पिछले साल जब महामारी की पहली लहर कम हो रही थी तो वित्त मंत्री और उनके मुख्य आर्थिक सलाहकार ने 'उज्जवल किरण' की मनगढ़ंत कहानी के साथ वी-आकार की रिकवरी की भविष्यवाणी कर डाली। जीडीपी के आंकड़ों से साफ है कि यह कहानी झूठी थी।  Image Source Jagaran.com

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