क्या आपको भी तलाश है एक ऐसे नायक की जो आपको सही रास्ता दिखाएं और आपको हीरो बनाए तो अब आपकी तलाश हुई खत्म जाने कैसे .??

हम सभी को जीवन में एक नायक की आवश्यकता महसूस होती है, जो हमें संकटों से उबार सके और जिसके चमत्कार हमें खुशियों से भर दें। नायक की अपनी अपनी अवधारणा है, किंतु एक सामान्य तत्व है उसका सामर्थ्यवान होना इतिहास में कई महापुरुष मिलते हैं जिन्होंने स्थितियों को बदल दिया। जिन्होंने आम जन के मन आशा और विश्वास से भर दिए। ऐसे महापुरुषों को सच का ज्ञान था और सच के लिए खड़े रहने का संकल्प। उन्होंने सच से लोगों को जोड़ा जिससे सच का बलशाली स्वरूप प्रकट हुआ। नायक वास्तव में एक माध्यम बनता है सच के मुखर होने का। इसीलिए वह आदरणीय हो जाता है। सच तो सदैव अविजित है। झूठ, ढोंग, आडंबर, अन्याय कभी भी सच के सामने ठहर नहीं सकते।

जब मनुष्य अपने अंदर परमात्मा को पा लेता है अर्थात उसकी दया, क्षमा, संतोष, संयम जैसे गुणों को धारण कर लेता है तो उसका जीवन बदल जाता है। विकार और माया उसे स्वयं ही तज जाते हैं, क्योंकि गुण और अवगुण एक साथ नहीं रह सकते। मान-अपमान, सुख-दुख, निंदा प्रशंसा आदि से ऊपर उठ मनुष्य जल में कमल जैसा निर्लिप्त हो जाता है। यह उसका सबसे बड़ा बल है, जो उसे अविजित बना देता है। एक गुणी मनुष्य स्वयं अपना जीवन तो संवारता ही है, पूरे समाज को सद्गुणों के लिए प्रेरित करता है।

समाज के अंदर व्याप्त अवगुणों से जूझने के पूर्व अपने अंतर के अवगुणों, विकारों से लड़ना पड़ता है। स्वयं को सुधारना अधिक कठिन है। नायकत्व तो अपने अंतर को बदलने में है। यह कार्य स्वयं ही करना पड़ता है। कोई अन्य राह तो दिखा सकता है, किंतु उस राह पर चलना तो स्वयं ही होता है। इसीलिए कर्म के सिद्धांत को भारतीय दर्शन और संस्कृति में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जीवन में गुण हैं तो सुख है। यत्र तत्र भटकने के स्थान पर अपने अंतर में परमात्मा को खोज कर आत्मबल प्राप्त कर संसार का हर मनुष्य नायक बने। 

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