कौन होंगे नेपाल के नए प्रधानमंत्री : नेपाल के राजनीतिक में बहुत ही हो रहा उलट फेर सभी राजनीतिक पार्टी मिली जुली दिख रही है ।

काठमांडू : नेपाल में मध्यावधि चुनाव कराने पर आमादा कार्यवाहक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अब सभी राजनीतिक दलों से मिल जुलकर सरकार बनाने और देश में चुनाव कराने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने संसद (प्रतिनिधि सभा) को भंग करने की अपनी सिफारिश पर अजीबो-गरीब सफाई दी है। कहा है कि बिना काम काज वाली संसद देश में अस्थिरता पैदा करने का कारण बन रही थी, इसलिए उसे भंग करने की सिफारिश सरकार ने की।

टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश में ओली ने कहा, चुनाव कभी पीछे लौटने वाला फैसला नहीं हो सकता। यह हमेशा आगे बढ़ने वाला प्रगतिवादी फैसला होता है। अल्पमत ओली सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 22 मई को संसद को भंग कर दिया था और नवंबर में चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी। लेकिन राष्ट्रपति के इस फैसले के विरोध में सभी विपक्षी दल और ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) का एक धड़ा सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। शुक्रवार ने इस बीच नया दांव खेलते हुए ओली ने सभी राजनीतिक दलों के समक्ष मिली-जुली सरकार बनाने का प्रस्ताव रख दिया। ऐसा उन्होंने राष्ट्रपति की सहमति लेकर किया है, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। वैसे कामचलाऊ सरकार के मुखिया के तौर पर उनका यह प्रस्ताव भी असंवैधानिक है। अपने संबोधन में ज्यादातर समय ओली विपक्ष और अपनी पार्टी के विद्रोही गुट पर हमलावर रहे। वह बार-बार खुद को सही और विरोधियों को गलत ठहराते रहे। उन्होंने इन विरोधियों को ही संसद भंग होने के लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, 23 फरवरी को जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिनिधि सभा बहाल हुई थी, तब से ही इन विरोधियों ने देश को स्थिर नहीं होने दिया। इन्होंने संसद को नहीं चलने दिया और देश को अस्थिर बनाए रखा। 

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