ब्लैक फंगस को कैसे हराए : पहले तीन चरण में पहचान कर घर में ही दे सकते ब्लैक फंगस को मात

 पटना म्यूकोर माइक (ब्लैक फंगस) एक सामान्य रोग है। कोरोना उपचार के दौरान स्टेरॉयड की हाई डोज, इम्यूनो सप्रेस्टिव दवाओं, मधुमेह या अन्य क्रॉनिक रोगों के कारण हाल के दिनों में इसके रोगियों की संख्या बढ़ी है। अबतक प्रदेश में 6 लाख 76 हजार 45 लोग कोरोना संक्रमित हुए हैं। वहीं, म्यूकोर पीड़ित सौ लोग ही इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती हुए हैं। जो कुल संक्रमितों का महज 0.014 फीसद है। म्यूकोर माइकोसिस से डरने की बजाय शुरुआती चरण में इसके लक्षणों को पहचानकर डॉक्टर के परामर्श अनुसार दवाएं ले घर या नजदीकी अस्पताल में स्वस्थ हुआ जा सकता है। ये बातें पीएमसीएच में न्यूरो मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष

डॉ. संजय कुमार ने कहीं। डॉ. संजय कुमार ने कहा कि भूकंप, बाढ़ की चपेट में आए इलाकों के लोगों, बीमारी, चोट लगने या किडनी, इम्यूनो सप्रेस्टिव दवाएं लेने वालों, डायलिसिस कराने वालों को पहले भी म्यूकोर माइकोसिस होता था। कोरोना संक्रमितों में भी यह उन्हीं लोगों को ज्यादा हो रहा है, जो अस्पताल में भर्ती हुए हैं और उन्हें शुगर था और हाई डोज स्टेरॉयड दिया गया है।

शरीर में आयरन होने पर म्यूकोर का खतरा ज्यादा : डॉ. संजय कुमार ने बताया कि म्यूकोर माइकोसिस को आयरन खाना बहुत पसंद है। ऐसे में जिन लोगों के शरीर में आयरन की मात्रा अधिक होती है, उनमें म्यूकोर माइकोसिस का खतरा अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा होता है। 

सावधानी जरूरी

• स्टेरॉयड, मधुमेह, संक्रमित ऑक्सीजन मास्क के अलावा इम्यूनो सप्रेस्टिक दवा या क्रॉनिक पीड़ित हैं आशंकित मरीज
• अबतक प्रदेश में 6 लाख 76 हजार 45 लोग हुए कोरोना संक्रमित, सावधानी से बचा जा सकता है इस रोग से

सरकार ने स्टेरॉयड की पावर और इस्तेमाल की अवधि घटाई

जासं, पटना: कोरोना के साथ या स्वस्थ होने के बाद म्यूकोर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) का शिकंजा कसता जा रहा है। 50 फीसद में सर्जरी की जरूरत और उसमें भी जान के खतरे देखते हुए राज्य सरकार भी सतर्क हो गई है। कोरोना संक्रमितों के उपचार में स्टेरॉयड के इस्तेमाल को सीमित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके तहत न केवल अबतक प्रिस्क्राइब होने वाली स्टेरॉयड की पॉवर आधी कर दी गई है बल्कि डोज व दिन भी घटा दिए गए हैं। बिना डॉक्टर व डोज निर्धारण के अपनी मर्जी से स्टेरॉयड लेने वालों को फंगल इंफेक्शन होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।

ब्लैक फंगस आपके शरीर में कैसे प्रवेश कर सकता हैं ।

पहला चरण, नाक में प्रवेश

चेहरे के किसी एक और सूजन व दर्द जिस और सूजन दर्द हो उसकी तरफ खाने में दर्द हो। नाक से काला पदार्थ निकले। तीन सप्ताह में दवाओं से पूरी तरह ठीक ।

दूसरा चरण, नाक से आंख में आंख में दर्द, लालिमा, धुंधला दिखना या एक की दो चीज दिखना। तीन सप्ताह में

पटीफंगल दवाओं से ठीक। तीसरा चरण, आंख से मुंह में

मुँह के ऊपरी तालू में खरोच जैसी काले रंग की लकीरें दिखना। इस चरण में भी दवाओं से ठीक हो जाता है।

चौथा और खतरनाक चरण

मरीज के मुंह से खून की नसों में चला जाता है। ऐसी स्थिति में तुरंत उपचार नहीं मिलने पर हर अंग की नसों को संक्रमित कर देता है। कई बार पीडित की जान बचाने को आंख निकालनी पड़ती है।

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