अब युवाओं की तरह सोचना बुजुर्गो के लिए फायदेमंद : और अब बुजुर्गो में याददस्त में सुधार के साथ बिमारिया दूर होंगी
अक्सर कहा जाता है कि हमारे विचार और भाव हमारी जिंदगी को प्रभावित करते हैं। यह बात काफी हद तक सही है। यहां तक की सेहत पर भी हमारी सोच और भावनाओं का असर दिखता है। एक हालिया अध्ययन की मानें तो जो बुजुर्ग खुद को युवा महसूस करते हैं, उनका जीवन अपने अन्य बुजुर्ग साथियों के मुकाबले अधिक खुशियों भरा होता है और आयु लंबी होती है।
हाल में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित अध्ययन में व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य के बीच संबंध का एक संभावित कारण पता चला है। इसके मुताबिक युवा महसूस करना मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्गों में तनाव के हानिकारक प्रभावों को कम करने में सहायक होता है। इतना ही नहीं, उनकी याददाश्त बेहतर होती है, तनाव व बीमारियों से बचे रहते हैं, अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम रहता है।
5039 प्रतिभागियों पर अध्ययनः इस अध्ययन में जर्मन सेंटर ऑफ जेरोन्टोलॉजी के शोधकर्ताओं ने जर्मन एजिंग सर्वे में शामिल 5,039 प्रतिभागियों के तीन साल के आंकड़ों का विश्लेषण किया। यह जर्मनी के 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र के निवासियों का सर्वे था।
ज्यादा तनाव वालों की सेहत में गिरावट सर्वेक्षण में लोगों के जीवन और कार्यात्मक स्वास्थ्य में तनाव की मात्रा पर सवाल किए गए। जैसे दैनिक गतिविधियों, कपड़े पहनना और नहाने व चहलकदमी में वे कितना सीमित थे। प्रतिभागियों से पूछा गया कि 'आप खुद को कितना बुजुर्ग महसूस करते हैं ?"
इसका जवाब देते हुए प्रतिभागियों ने अपनी सब्जेक्टिव उम्र का भी संकेत दिया, यानि की जैसा वह महसूस करते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि औसतन जिन प्रतिभागियों ने अपने जीवन में अधिक तनाव होने की जानकारी दी,उन्होंने तीन साल में अपने कार्यात्मक स्वास्थ्य में अधिक गिरावट महसूस की।
परिणामों में पाया गया कि तनाव और कार्यात्मक स्वास्थ्य गिरावट के बीच संबंध तिथिगत रूप से बुजुर्ग प्रतिभागियों में अधिक मजबूत देखा गया।
यह सोच बढ़ती उम्र में सेहत दुरुस्त रखेगी
प्रमुख अध्ययनकर्ता प्रोफेसर मार्कस वेटस्टीन के मुताबिक नतीजतन कुछ लोग काफी अच्छे स्वास्थ्य संसाधनों के साथ बुढ़ापे में प्रवेश करते हैं, जबकि अन्य कार्यात्मक स्वास्थ्य में स्पष्ट गिरावट का अनुभव करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दीर्घकालिक देखभाल की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि परिणाम बताते हैं कि सेहत में गिरावट के मामले में तनाव अहम जोखिम कारक है, लेकिन अगर खुद को युवा माना जाए तो यह सोच तनाव के लिए अवरोधक बनती है, जिससे सेहत में हो रही गिरावट में सुधार हो सकता है। अध्ययन के परिणाम यह सुझाव देते हैं कि लोगों की खुद को युवा महसूस करने की सोच उन्होंने तनाव के नुकसानों से बचा सकती है और सेहत को दुरुस्त रखने में मददगार होगी।
05 हजार से अधिक प्रतिभागियों पर किया गया सर्वे
03 साल के आंकड़ों का विश्लेषण किया अध्ययन में
40 व इससे अधिक उम्र के प्रतिभागी गए शामिल
तनाव का स्तर कम करने में मदद
अध्यनय में पता चला कि सब्जेक्टिव आयु तनाव के प्रति एक सुरक्षात्मक अवरोधक का काम करती है। ऐसे प्रतिभागी, जिन्होंने खुद को अपनी वास्तविक उम्र से कम उम्र का महसूस किया, उनकी सेहत में गिरावट और तनाव के बीच संबंध को कमजोर देखा गया। यह सुरक्षात्मक प्रभाव बुजुर्ग प्रतिभागियों के बीच अधिक मजबूत देखा गया। हम जानते हैं कि आमतौर पर कार्यात्मक स्वास्थ्य में उम्र के साथ गिरावट आती है।
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